तपेदिक (टीबी) हजारों वर्षों से मनुष्यों में मौजूद है और एक संभावित गंभीर संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। जो मुख्य रूप से हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है। टीबी संक्रामक है, खांसने और छींकने के माध्यम से हवा में छोड़ी गई छोटी बूंदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
दुनिया के टीबी रोगियों का लगभग एक चौथाई हिस्सा भारत में है और टीबी तथा मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) दोनों की सबसे ज्यादा संख्या भारत में है। अनुमानित एचआईवी से जुड़े टीबी के मामलों में भारत दूसरा सबसे बड़ा (दक्षिण अफ्रीका के बाद) देश है। इसके अलावा,श्रेणी में एचआईवी के साथ टीबी दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारण के रूप में आता है।
हालांकि, अच्छी खबर है। टीबी का उपचार है और भारत में उपचार की सफलता दर उच्च है।
भारत में टीबी की चिकित्सा तथा देखभाल सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के अस्पताल तथा चिकित्सालयों मे दी जाती है। परन्तु, चिकित्सा में जाने के पहले हम यह जान लेने की कोशिश करते है की भारत में टी बी रोग गंभीर समस्या क्यों बनी है।
टी बी रोग के इतना अधिक फ़ैलने के पीछे कई कारणों में से एक प्रमुख कारण है की उसकी बहुत कम जानकारी है। नतीजा, टीबी का प्रारंभिक चरणों में इलाज नहीं किया जाता, जो आगे चलकर उसे छुपाने की इच्छा को बढ़ावा देता है। ग्रामीण भारत के कई हिस्सों में लोग स्थानीय, कभी-कभी अयोग्य चिकित्सकों के पास जाने का विकल्प चुनकर सक्रिय रूप से बीमारी को छिपाने की कोशिश करते हैं। यह इस धारणा से आता है कि रोग घातक है या इलाज के लिए बहुत महंगा है।
केवल सुविधा के लिए पड़ोस के चिकित्सकों के पास जाना भी काम नहीं कर सकता है क्योंकि उन्हें दवा प्रतिरोध के जटिल मामलों को संभालने के लिए प्रशिक्षण न मिलना, साथ ही, उनके पास जाने से वास्तविक उपचार में बहुत अधिक समय लग सकता है। टीबी के इलाज में विशेषज्ञता वाली उचित स्वास्थ्य सुविधा में जाना हमेशा पहली पसंद होनी चाहिए।
सबसे पहले, एहतियाती उपाय के रूप में, एक योग्य चिकित्सक द्वारा जांच करवाना महत्वपूर्ण है, खासकर यदि कोई व्यक्ति दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी के गंभीर दौरों का अनुभव कर रहा हो। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर खांसी और सीने में जकड़न के लक्षणों के लिए, लोग सामान्य चिकित्सकों द्वारा निर्धारित किसी भी दवा की दुकानों में मिलनेवाली एंटीबायोटिक्स लेते हैं परन्तु ,टीबी संक्रमण के लिए अलग उपचार की आवश्यकता होती है।
टीबी से जुड़े कुछ लक्षण हैं जो संभावित संक्रमण की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। बुखार,रात को पसीना आना, खाँसी जहाँ थूक (कफ) सफेद, भूरा , हरा या लाल भी हो सकता है। कुछ ऐसा जो टीबी संक्रमण का एक करीबी संकेतक है, वह है इस अवधि के दौरान वजन कम होना। एचआईवी के साथ जी रहे लोगों को अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि उनमें लक्षण देर से विकसित होते हैं और खांसी का अनुभव होने की संभावना कम होती है।महत्वपूर्ण रूप से, एचआईवी रोगियों के लिए, टीबी उपचार के दौरान एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) मृत्यु दर को ५०% से अधिक कम कर देता है।
टीबी को बढ़ने से रोकने के लिए सर्वोत्तम तरीकों में से एक है शीघ्र निदान और छाती तथा फेफड़ों के रोगों में विशेषज्ञता वाली सुविधाओं से प्रभावी शीघ्र उपचार। टीबी से समय पर इलाज से ठीक होने की दर ९०% से अधिक है।
साथ ही, यह आवश्यक है कि रोगी के स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद भी कुछ समय के लिए उपचार जारी रखें ताकि दोबारा होने की किसी भी संभावना को रोका जा सके।
यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो काम करते हैं या किसी ऐसे व्यक्ति के निकट संपर्क में रहते हैं, जो हाल ही में टीबी से संक्रमित हुआ हो, तो टीबी का परीक्षण करवाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि टीबी के बैक्टीरिया लंबे समय तक शरीर प्रणाली में निष्क्रिय रह सकते हैं। बैक्टीरिया बहुत बाद ‘जागृत’ हो सकते हैं, खासकर उन लोगों में जिनकी प्रतिरक्षा समय के साथ एचआईवी, धूम्रपान, शराब के सेवन, स्टेरॉयड के उपयोग, मधुमेह, खराब पोषण या बस बुढ़ापे के कारण कमजोर हो जाती है।
परीक्षण करवाना काफी सरल और दर्द रहित प्रक्रिया है।मरीज के थूक का नमूना लिया जाता है और प्रयोगशाला परीक्षण पुष्टि कर सकता है कि क्या संक्रमण मौजूद है। इलाज भी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में उपलब्ध है और निजी अस्पतालों तथा सुविधाओं में मामूली कीमत पर।
अंत में, तपेदिक रोग वाले व्यक्ति के साथ रहना घातक नहीं है। खांसी शिष्टाचार और स्वच्छता बनाए रखने और अन्य बातों के अलावा कमरा हवादार रहे ऐसे सुधार करने जैसी सरल सावधानियां बरतने से संक्रमित व्यक्ति के इलाज के साथ, जिससे टीबी को फैलने से रोकने में मदद मिल सकती है।छाती और फेफड़े के रोग के लिए विशेष विभागों वाले सरकारी अस्पताल भी समर्थन अभियान चलाते हैं जो टीबी रोगी के साथ रहने पर क्या करें और क्या न करें, के बारे में सामान्य जानकारी के लिए एक महान संसाधन है।
एक टीबी रोगी को हर संभव देखभाल की जरूरत होती है और परिवार तथा दोस्तों को इलाज में बड़ी भूमिका निभाने की जरूरत होती है।